Read A Poetry - We are Multilingual Publishing Website, Currently Publishing in Sanskrit, Hindi, English, Gujarati, Bengali, Malayalam, Marathi, Tamil, Telugu, Urdu, Punjabi and Counting . . .
पुलिस यहाँ की बिकती है चंद रूपयों के लिए , झूठे अरमानों के लिए । नशे की लत के लिए , घुँघरू की ताल पे नाचने के लिए । हाँ जी हाँ पुलिस यहाँ की बिकती है । कभी सरेआम तो, कभी श्मशान में। कभी मेले में तो, कभी अकेले में । कभी इज्ज़त के लिए तो, कभी फजीहत के लिए । हाँ जी हाँ पुलिस यहाँ की बिकती है । कभी-कभी तो दिन को भी , और कभी-कभी रात को भी । चेहरे पर रखती चेहरा , बेकसूर को बनाती मोहरा । झूठ को फैलाती है , सच्चाई को छिपाती है । हाँ जी हाँ पुलिस यहाँ बिकती है । नेताओं की चाटुकारी करना , औरों पर झूठे रोब झाड़ना । कभी प्रमोशन के लिए तो , कभी जेब की डोनेशन के लिए । गुंडे मवाली से डरती है , नेक जनता को डराती है । हां जी हाँ पुलिस यहाँ की बिकती है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें