मेरी हालत देख कर तुम्हे क्यूँ हँसी आती है,
अभी कुछ दिनों पहले की ही तो बात है,

मेरी खूबसूरती पे तुम जान छिड़कते थे,

बाबू-सोना कह कर मुझे गले लगते थे,

पर अब मेरे चेहरे को देख कर कुरूप कहते हो,

अरे यूँ कुछ हैवानो की मुझपे की गयी हैवानियत से तुम शैतान क्यूँ बनते हो,

अरे नादान बनकर देखो मुझे कुछ हैवानो ने मेरे चेहरे पे तेजाब डाला है,

पर अपने आप को अभी भी मैंने तेरे लिए बचाया है,

अब तुम भी अपनी हैवानियत से मेरे रूह को न जलाओ,

अगर तुमने भी ऐसा किया तो बताओ तुम में

और उस हैवान में क्या फर्क रह जायेगा।

उसने मेरे जिस्म को जलाया और तुम मेरे रूह को जला रहे हो,

अफसोस है मुझे खुद पे जो मैंने तुम जैसे इंसान से मोहब्ब्त की और मुझे लानत है तुम पे जो तुमने
मोहब्ब्त के मायने को नही समझ सके।

अरे प्रेम तो शारीरिक आकर्षणों से परे चेतना की एक उत्कृष्ट अवस्था है।

प्रेम का शरीर से कोई सम्बन्ध नही,प्रेम का सम्बन्ध तो आत्मा से है जिसे तुझ जैसा इंसान कभी नही समझ सकता ।


Shubham Poddar

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