माँ मुझे बाँहो में भर लो,
थक चूका हूँ जीवन की नौकरी से,
मुझे खुद में समा लो,
माँ मुझे तुम गले लगा लो,
पढ़े - मेरे कब्र के पास
अपनी आँचल तले मुझे बिठा लो,
इस कांटे भरी दुनियाँ से मुझे बचा लो,
माँ मुझे बाँहो में भर लो।
इस जग में अब प्रीत नही हैं,
पढ़े - माँ बहुत रोई थी.
कोई किसी का मीत नहीं है,
प्रेम का कोई गीत नहीं हैं।
खुद से ही मैं हार चुका हूँ,
ना जाने क्यों मैं लाचार खड़ा हूँ,
पढ़े - ये कुर्सी के दीवाने
माँ मुझे तुम गले लगा लो,
मुझे अपनी बाँहो में भर लो।
इस दुनियाँ-दारी से होकर परे,
खुले आसमान के तले,
पढ़े - हुस्न पे मरने वाले
बिताना चाहता हूँ कुछ सुकून के पल,
बस गोद में तेरे रहे मेरा सर,
ताकि कर सकूँ मैं जन्नत का सैर,
खुद में ही मुझे सिमट ले तू
पढ़े - मौत का नज़ारा हमे भी.
माँ मुझे गले लगा ले तू,
अपनी बाँहो में भर ले तू।

Shubham Poddar

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