दिल में अब किताबों का , घर हुआ तो है
आंखों से दिल तक का, सफर हुआ तो है

हिज्र,आशिक़ी,शराब मैं सब जनता हूँ
उसे इश्क़ करने का, असर हुआ तो है।

जिसके शाख से उड़ गए होंगे परिंदे भी
जंगल में ऐसा भी, शजर हुआ तो है।

खबर लाओ कि चाय पर बुलाया है उसने
सुना है प्यालो मे भी, जहर हुआ तो है।

Ramashankar Patel

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