एक धागा बाँध उसने कलाई पर उम्र भर के सलामती की दुआ की है Keshav Kaushik
फिर से है रोई आज रोली टीका माथ बिंदी फिर से है भीगी आज हाथों की ये मेहंदी पढ़े - बेवक़्त कमरे में आना . . . बार - बार पूछ रही...
सावन में मन का मयूर तरसे मयूर तरसे नैना झर - झर - झर बरसे याद पिया की आ रही कलसे मयूर तरसे पढ़े - आशिकी हो तो ये . . . नैना झर - झर...
आशिकी हो तो ये ऐसी हो मेहबूब मेरी किताब सी हो पढ़े - बेवक़्त कमरे में आना . . . सफ़हः पलकों में खुले उसकी ये हक़ीक़त कोई ख़्वाब ...
गांँधी बाबा तेरी आड़ में हमने क्या-क्या होते देखा निर्धन को लूटते देखा निर्जन को पिटते देखा गांँधी बाबा तेरे नाम से ...
तुम्हें देख खुद का रक़म देखते हैं मुहब्बत में क्यों यह सितम देखते हैं पढ़े - बेवक़्त कमरे में आना . . . मेरे सामने से ...