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सावन में मन का मयूर तरसे मयूर तरसे नैना झर - झर - झर बरसे याद पिया की आ रही कलसे मयूर तरसे पढ़े - आशिकी हो तो ये . . . नैना झर - झर - झर बरसे बीत गये हैं जाने कितने साल विरहा - अगन में हुई मैं बेहाल अँखिया देखन को तरसे मयूर तरसे
नैना झर - झर - झर बरसे हमको सताये हाय सावन तकिया भिगोये मेरे अंसुवन मन आलिंगन को तरसे मयूर तरसे पढ़े - गांँधी बाबा तेरी आड़ में . . . नैना झर - झर - झर बरसे बैरी इतना क्यों तड़पाए ये सावन भी बीत न जाए तुझे देखे हुए बीते अरसे मयूर तरसे
नैना झर - झर - झर बरसे राधा संग नहीं केशव प्यारे कह कह मोहन हम तो हारे तेरे पास आऊँ भाग घरसे मयूर तरसे पढ़े - बेवजह तो छत पर . . .
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