सावन में मन का मयूर तरसे
मयूर तरसे
नैना झर - झर - झर बरसे
याद पिया की आ रही कलसे
मयूर तरसे
पढ़े - आशिकी हो तो ये . . .
नैना झर - झर - झर बरसे
बीत गये हैं जाने कितने साल
विरहा - अगन में हुई मैं बेहाल
अँखिया देखन को तरसे
मयूर तरसे

नैना झर - झर - झर बरसे
हमको सताये हाय सावन
तकिया भिगोये मेरे अंसुवन
मन आलिंगन को तरसे
मयूर तरसे
पढ़े - गांँधी बाबा तेरी आड़ में . . .
नैना झर - झर - झर बरसे
बैरी इतना क्यों तड़पाए
ये सावन भी बीत न जाए
तुझे देखे हुए बीते अरसे
मयूर तरसे

नैना झर - झर - झर बरसे
राधा संग नहीं केशव प्यारे
कह कह मोहन हम तो हारे
तेरे पास आऊँ भाग घरसे
मयूर तरसे
पढ़े - बेवजह तो छत पर . . .

नैना झर - झर - झर बरसे


Keshav Kaushik

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