आशिकी हो तो ये ऐसी हो
मेहबूब मेरी किताब सी हो
पढ़े - बेवक़्त कमरे में आना . . .
सफ़हः पलकों  में  खुले  उसकी
ये हक़ीक़त कोई ख़्वाब सी हो
पढ़े - बेवजह तो छत पर . . .
पढ़ के जानाँ मैं थकन बिसरूँ
सर रक्खूँ रात माहताब सी हो

Keshav Kaushik

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