तुम्हें  देख  खुद  का  रक़म देखते हैं
मुहब्बत  में क्यों यह सितम देखते हैं

पढ़े - बेवक़्त कमरे में आना . . .
मेरे  सामने  से  जब  भी वो गुजरती
नज़र भर तभी खुद को हम देखते हैं



तेरे  हाथ  में   है   मेरा   हाथ  जानाँ
यही आजकल  सपनः  हम देखते हैं

पढ़े - बेवजह तो छत पर . . .
गो   टांगी  गई  दो  जानें  पेड़   से  है
किया  इश्क़   कोई   धरम  देखते  हैं



Keshav Kaushik

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