आस्था . . .

मन में ख़ुशियाँ भर देती है आस्था
निर्मल , शीतल कर देती है आस्था
मुसीबत में हिम्मत देती है आस्था
ये आस्था ही है, जो
मृत्यु में जीवन भर देती है
प्राण का संचारण करती है

तभी नई चेतना जागृत
कर देती है ये आस्था
पत्थर को भगवान बना दे
एंसान को मसीहा ये आस्था
नदी , पेड़ को माँ बना कर
करती है नमन आस्था

जिसके बल से मृत्यु हारे
पर्वत कर ले विजय आस्था
मन बन जाता एक शिवालय
एसी है पवित्र आस्था
घर हो जाता मदीना फिर जब
उठती बन के दुआ आस्था

मानवता हो जाए सम्मानईत
जब आदत बन जाए आस्था
लेकीन सीमा होनी बहुत ज़रूरी
मर्यादा का मान आस्था

Rekha Jha

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