उसकी यादों को इस दिल से मिटाने में
वक्त लगेगा, दिल को पत्थर बनाने में
कौन अब मोहब्बत करेगा, इस जहां में
बे-वाफाओं की तादाद बढ़ी है जमाने में
हम मशरूफ हो रहे थे, उसको भुलाने में
फिर अचानक याद आता है वो अंजाने में
वो क्या समझता है, इतना आसान है सब
उसका बदन कापेंगा ग़ैर को गले लगाने में
मेरे बाद मेरे लिए एक रोज, वो भी रोयेगा
मुझ जैसे पागल मिलते कहां हैं जमाने में?
Anurag Maurya
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