ये कैसी मज़बूरी . . .

जो थे कभी हमारे खास
जो  थे बनके मेरी  सांस
आज कर ली मुझसे दूरी
हाय यह है कैसी मज़बूरी
क्या हो गई मुझसे  कमी
इसकी गिला करते कभी
इख्तियार करना पड़ा दूरी
हाय यह है कैसी मज़बूरी
साथ में तय करना था
जिंदगी की सफर पूरी
कैसी होगी  अब  पूरी
ये प्रेम कहानी  अधूरी
साथ छोड़ना हो गया
कैसे बिल्कुल ज़रुरी
क्या खता  हुई   मुझसे
आई कौन-सी मज़बूरी

Pradeep Kumar Poddar

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