संघर्ष . . .

जिंदगी कितनी मिली
ये कभी मत सोचो।
जिंदगी में क्या कुछ
तुम्हें मिला ये सोचो।
जिंदगी मिली है तुम्हें
कुछ करने के लिए।

इसे तुम यूही मत
बिना वजह के गवाओं।।
जिंदगी को तुम समझो
और इसका मनन करो।
फिर मायाने जिंदगी के
लोगों के जहन में बैठाओं।

कर सके अगर ये काम
तुम अपनी जिंदगी में।
तो तुम्हारा मनुष्य जन्म
सफल हो जायेगा।।
गिरता रहा उठता रहा
जिंदगी को चलता रहा।

रुक अगर गये होते तब
विपत्तियों से हार कर।
तो जिंदगी को अबतक
हम खो चुके होते।
बिना लड़े परस्त होना
जिंदगी की बुझदिली होती।

इसलिए जिंदगी के साथ
निरंतर संघर्ष करता रहा।।

Sanjay Jain

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