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खनती चूड़ियां तेरे मुझे क्यों बुलाती है। पायल की खनक भी हमें बुलाती है। हंसती हो जब तुम तो दिल खिल जाता है। और मोहब्बत करने को मन बहुत ललचाता है।।
कमर की करधौनी भी कुछ कहती है। प्यास दिल की वो भी बहुत बढ़ाती है। होठो की लाली हंसकर हमें लुभाती है। और आँखे आंखों से मिलना को कहती है।।
पहनती हो जो भी तुम परिधान। तुम्हारी खूब सूरती और भी बढ़ाती है। और अंधेरे में भी पूनम के चांद सी बिखर जाती है। और रात की रानी की तरह महक जाते हो।।
तभी तो जबा दिलो में मोहब्बत की आग लगाते हो। और चांदनी रात में अपने मेहबूब को बुलाते हो। और अपनी मोहब्बत को दिल में शामाते हो। और अमावस्या की रात को भी पूर्णिमा की रात बन देते हो।।
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