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करवाचौथ के पावन अवसर पर मेरी रचना सभी पाठकों के लिए समर्पित है। करवा चौथ का ये त्यौहार बहुत प्यारा है। जो पत्नी पति के आयु के लिए व्रत रखती है। और साथ पति भी पत्नी के साथ व्रत रखते है।
और दोनों लम्बी आयु के के लिए पूजा करते है।। रिश्तो का बंधन कही छूट न जाये।
और डोर रिश्तों की कही टूट न जाये। रिश्ते होते है बहुत जीवन में अनमोल।
इसलिए रिश्तो को दिलमें सजा के रखना।। बदल जाए परिस्थितियां भले ही जिंदगी में।
थाम के रखना डोर अपने रिश्तों की। पैसा तो आता जाता है सबके जीवन में।
पर काम आते है विपत्तियों में रिश्ते ही।। जीवन की डोर बहुत नाजुक होती है।
जो किसी भी समय टूट सकती है। इसलिए कहता हूँ में रिश्तो में आंनद बरसाए।
और पति पत्नी के रिश्ते में बाहर लाये। और एकदूजे के लिए जीकर दम्पतिक धर्म निभाते है।।
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