कुछ लोग अक्सर कह जाते है
की तू हस्ता हुआ कितना अच्छा लगता है
लेकिन मुझे हसना
भी मुझे मेरा बोझ सा लगता है
क्यूँ नहीं समझ पाते लोग
कि ये क्यूँ हस्ता है इतना

आखिर क्यूँ नहीं समझना चाहते लोग
कि इसके हसने के पीछे कितना गम बस्ता  है
क्या समझ जाते है लोग
कि ये क्यूँ इतना सबसे अलग दिखता  है
रोता भी नहीं हूँ मै
रोया भी नहीं जाता

मुझसे मेरे आंसूओ का बोझ ढोया भी नहीं जाता
अगर रो लू मै भी इतना
तो क्या मै तुम्हारे जैसा नहीं बन जाता
कोई क्यूँ कुछ मुझसे नहीं पूछता
मै भी क्यूँ किसी से कुछ नहीं कह पाता  
क्या इस काबिल भी नहीं मै किसी को समझता

क्यूँ मै खुदको खुद पर बोझ समझता हूँ
कितने सारे लोग है मेरे पास मम्मी,पापा,भाई,दोस्त
क्यूँ मै इनसे भी कुछ नहीं कह पाता
क्यूँ मुझसे खुदका बोझ नहीं ढोया जाता  
क्यूँ मुझसे अकेले मे बैठकर भी रोया नहीं जाता
आखिर क्यूँ मुझसे मेरा बोझ ढोया नहीं जाता

मुझे खुद नी समझ आता
कि मै अंधेरे कमरे मे अकेला क्या सोचता रहता  हूँ
क्यूँ रात के अंधेरापन और अकेलेपन को मै तकता रहता  हूँ
क्या तकता हूँ
मै उस रात में मै खुद नहीं समझ पाता  हूँ
क्यूँ मै खुद से भी कुछ क्यूँ नहीं  कह पाता हूँ

हाँ मै कुछ कहना चाहता हूँ
कोई सुने मुझे हाँ मै कुछ बताना चाहता हूँ
हाँ ज़ब मै जाऊँ दुनिया से
उससे पहले मै वो सब बातें मै तुमसे बताना चाहता हूँ
हाँ अब मै जाना चाहता हूँ
कोई मेरे पीछे ना आ पाए इसलिए मै सबको सुनाना चाहता  हूँ  

हाँ अब मै जाना चाहता हूँ
तुम मेरी कहानियाँ सुनाना सबको
हाँ अच्छा आदमी था
कुछ ना कुछ तो कहना बनता था मेरे जनाज़े पर
जो ढो ना पाया खुद के बोझ को
हाँ वो आदमी अच्छा था

हाँ वो कुछ कहना चाहता था
हाँ वो आदमी अच्छा था
हाँ पूछ तो रहा था
वो कुछ दिनों से पर उस अच्छेपन का किसी ने जवाब क्यूँ नहीं दिया
मैंने कहाँ मौत तो वो हसकर कह देते
कि तू इसके सिवा कुछ कहेगा कि नहीं

कुछ दिनों से कुछ समझ नहीं आ रहा
कि आजकल क्या कर रहा हूँ मै
किसके लिए जी रहा हूँ किसके लिए मर रहा हूँ मै

Pradeep Chauhan

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