माँ
मेरी
प्यारी
देवी रूप
भवसागर
तारे कर सेवा
मेरे वजूद को दे
सार्थकता मनुजता
संस्कार ,शील गुण, विद्या
परम्परा की अनमोल हैं
विरासत ,मिली जो ब्रह्मा से है
अनुपम कृति विधाता की रची
हर परिवार की धुरी होती माता
गढ़ती ,रचती ,पालती ,पोषती माता,,
सन्तान की जन्म ,कर्म ,भाग्य विधाता माता।,,
खुद भूख सह कर सन्तान को खिलाती माँ,,,
खुद गीले में सो सन्तान को सूखे में सुलाती माँ,,
दुआएँ दे कर हर बला से बच्चों को बचाती माँ,,
गरीबी में राजकुमारी सा सजा कर खुश होती माँ,,
हर पल हर घड़ी बच्चों के लिए खैर माँगती माता।,,
ओ विधाता,,दुःख देकर सुख की ठंडी छाया सी भेजी माता।,,
हर तरफ से तपा इंसान सुख ओ सुकूँ पाता तुझसे माँ।,,
जन्म देती ,पालन करती,शिक्षित ,दीक्षित सफल बनाती माँ,,
महंगाई में भी हमारी हर ख्वाहिश पूरी कर सुकूँ पाती हैं माँ,,।
वंदन,नमन करू ,बलिहारी जीवन करू तुझ पर ओ मेरी माँ।,,।
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