डूबकर तेरी इन आंखों में अब मैं मरना चाहता हूं,ये काम कल नहीं आज,अभी मैं करना चाहता हूं!
भले ही दिनों से तुमको देखा नहीं है एक बार भी मैंनेतुम कब आ रही हो छत पर मैं तुम्हें देखना चाहता हूं!
और इन हवाओं से कह दो आज थोड़ी धीरे चलेंगुलाब लेकर आया हूं अब मैं तुम्हें देना चाहता हूं!
लोग तो तुम्हारे सुन्दरता से प्रेम करते हैं आजकलपर मैं केवल तुम्हारी रूह से इश्क़ करना चाहता हूं!
तुमसे इश्क़ की ख़ता में मुझे अब हर सज़ा है कुबुल मुझे तो अब सज़ा-ए-मौत दो मैं मरना चाहता हूं!
Anurag Maurya
डूबकर तेरी इन आंखों में अब मैं मरना चाहता हूं,
लोग तो तुम्हारे सुन्दरता से प्रेम करते हैं आजकल
तुमसे इश्क़ की ख़ता में मुझे अब हर सज़ा है कुबुल
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