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रात सलोनी सी लगे, दिवस लगे है क्रूर। एक पास लाती हमें, दूजा करता दूर।। बढ़ी हमारी वेदना, उलझन रही अपार। रात अमावस हो गई, जीवन है निस्सार।।
रात मुझे अब कर रही, हरपल देखो तंग। यादों को लाती सदा, लिपटे मेरे अंग।। दिवस हमें सब दीजिए, मैं दूँ अपनी रात। जीवन में होती रहे, खुशियों की बरसात।।
रात विरह की मौन रह, करती है आघात। धीरे- धीरे जल रहा, मेरा सारा गात।। रात ठहर जा तू अभी, प्रिय है मेरे पास। भोर सजन जाए चला, फिर मैं रहूँ उदास।।
कभी रातरानी बनी, कभी बनी महताब। विरह अग्नि में जल गया, मेरा फूल गुलाब।। याद तुम्हारी उर बसी, तड़प रहा ये गात। विरह रात कटती नहीं, दिखता नहीं प्रभात।।
रात चाँदनी बन गई, प्रेमी जन की सौत। जग जाहिर सब हो गया, हुई प्रीति की मौत।। रात विरह की अब मुझे, करती है बेचैन। साथ तुम्हारा जब मिले, सुखद लगे फिर रैन।।
Owesom 👌🏻
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