अंग दान . . .

जिंदा में बहुत लोगों के
तुम काम आये हो।
मरकर भी साथ तुम
लोगों का निभा जाओ।
औरों को अंगों का तुम
दान कर जाओ।

और जाते जाते एक
आखरी उपकार कर जाओ।।
देकर जीवन दूसरों को
मानव धर्म निभा जाओ।
जिओ और दूसरों को
जीने की राह दिखा जाओ।

और अपने अंगोको देकर
एक उपकार कर जाओ।
और किसी जरूरत मंद के 
जीवन में रोशनी कर जाओ।।
ये अगर तुम कर पाओगें
तो मरने के बाद मोक्ष पाओगें।

और मरकर भी लोगों के
दिलो में सदा जिन्दा रहोगें।
क्योंकि वैसे भी शरीर को
जलना या गाड़ना है।
तो क्यों न इसका उपयोग 
जाते जाते भी कर जाये।

और इस जन्मको दूसरों के 
काम आकर सार्थक बना जाओगें।।

Sanjay Jain

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