कदमों में आ गई मंजिल हमारे . . .

ना जाने अब किस किस का सदगा होगा

हम तो अभी उतरे हैं जमीं पर
अभी तो आसमान का भी सीना छलनी होगा

कदमों में आ गई मंजिल
अब अपना भी एक जमाना होगा

जिसका कुछ नहीं है दुनिया में
अब उसका भी एक आशियांना होगा

कदमों में आ गई मंजिल
ना जाने अब क्या क्या होगा

अब तो हर मंजिल पर
बस अपना ही मुकाम होगा

कदमों में आ गई मंजिल
ना अब किसी से कोई गुनाह होगा

निकाला था घर से अकेला
पीछे अब मेरे एक बड़ा कारवां होगा

कदमों में आ गई मंजिल
मैं इतना निरन्तर चला होगा

डगर कठिन थी इतनी मेरी
पर मैं हर मुश्किल से इतना लड़ा होगा

Pradeep Chauhan

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