न मैं हिन्दू न मैं मुस्लिम,
 न  हूं  सिख  ईसाई,
इंसान हूं बस इंसान ही मानो
 और  कहो  तुम  भाई।

धर्म और जाति ने,
 भेद किया इंसानो में,
क्या यही बातें लिखी हैं,
 गीता, कुरानों  में।

मार रहे हो धर्म के नाम पर,
 जीवित  इंसान  को।
क्या यही सीखते हो धर्मों से,
 या मानते  हो  शैतान  को।

बस बहुत हुआ इंसानों पर,
 यह  क्रूर  घात  प्रघात,
लेकर अमन शांति का उजियारा
 अब दे दो इस  हिंसा को मात।

सब  मिलकर  साथ - साथ,
खत्म  करो  ये  जाति-पात,
न  कोई  ऊंच  न  कोई  नीच,
सब बराबर हों केवल यही हो बात।

Anurag Maurya

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