हाँ मैं बिहार हुँ . . .

चढते सूरज को पूजे संसार
मैं डलते रवि को नमन करूँ
मैं साफ़ ओर सुंदर घाट बना
सब रोग क्लेश को दूर करूँ
मान, सम्मान , जीवन क़े दाता हैं
उस भास्कर को मैं प्रसन करूँ
छठी मैया की पूजारीन हुँ
हाँ मैं बिहार हुँ


जिस धाम में बास भवानी का
जिस धाम में उगना रहते है
जहां प्यास बुझाने विद्यापति जी क़ी
भोले क़ी गंगा बहती है
जहां डमरू बजता शिव का है
उगना महादेव क़ी तपस्या है
उसी भवानीपुर क़ी धरोहर हुँ मै
हाँ बिहार हुँ मैं


विद्यापति जी क़ी वाणी हूँ मै
महादेव को जिसने जीत लिया
कैलास त्याग एस भूमी पर
रहने को शिव को विवश किया
उस कलम क़ी मै दीवानी हुँ
भोलेनाथ बने चाकर जहाँ
उस मिट्टी क़ी पुजारी हुँ
हाँ मै बिहारी हुँ
हाँ मैं बिहार हुँ . . . 4

Rekha Jha

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