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मैं देबघर क़ी शिव गंगा हो जाता तृष्णा से मोह भंगा है तेज ईतना ईस भूमी में रावण भी जहाँ पर हार गया भोले को ले जाना चाहा संग अपने
बिहार में आकर विवश हुआ हो गए निवासी महादेव जब भक्ती ने हमारी बांध लिया अब शंकर संग हमारे हैं मै कितनी क़िस्मत वाली हुँ हाँ मैं बिहार हुँ
हाँ बिहार हुँ मैं माँ जानकी क़ी संतान हुँ संस्कारो का पहने हिज़ाब हुँ सावित्री सी हूँ अनसुइया शिक्षा ज्ञान क़ी दात्री हूँ हाँ बिहार हुँ मैं हाँ मैं बिहार हुँ . . . 2
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