देश प्रेम . . .



एक युवा क़ी आँखो मे मैंने
फिर मौत क़ा जज़्बा देखा है
फिर देश प्रेम पे मिटने खातीर
उस ज़ोश का रुतबा देखा है


बचपन से खेल खेल में जो
गोली , बंदूक़ ही रखता था
फिर बना हमें वो दुश्मन ख़ुद
भारत का सैनीक बनता था


कर हमें ढेर वो खेल में फिर
ज़ोर ज़ोर से हँसता था
उस बालक मन को मेने फिर
हँसते मुस्कुराते देखा है


ज्यों ज्यों वो बड़ा हुआ वो फिर
रंग गहरा हुआ तिरंगे का
कर लिया ये प्रण उसने एक दिन
वो मान करेगा भारत का


बन जाएगा वो सैनीक फिर
हिफ़ाज़त सरहद क़ी कर लेगा
हुई तपस्या सफल उसकी
फिर उसको मैंने झूमते गाते देखा है


जब पिता हुए गर्वित उसपर
माँ अपने आँसु छुपा गयी
बहनो ने लाख बालायें ली
जब दूर वो हमसे चला गया


एक टीस उठी उसके दिल में भी
उस समय अपने ज्जबातों पर
फिर क़ाबू पाते देखा हैं
जब सफल हुआ ओर वो आया


जेसे बन सुरज निकल आया
उसको मैंने फिर अपने पर
थोड़ा एठलाते देखा है
अब शुरू हुआ था सफ़र नया


भारत क़ी गौरव रक्षा क़ा
उसको मैंने हर सीमा पर
लड़ते , टकराते देखा है
वो जहां गया साहस लेकर


दुश्मन का सीना छेद दिया
वो हिन्दु था, पर मुसलमान को
गले लगाते देखा है
ना भेद किया फिर मजहब का


भारत भारत भारत ही
उसको दोहराते देखा है
फिर ब्याह हुआ शहनायी बजी
प्यारी सी दुल्हन सजी धजी


थोड़े ही दिनो में उससे भी
बस दूर ही जाते देखा है
हाँ समय ने थोड़ी करवट ली
एक नन्ही परी अँगना आयी


उस परी को मैंने अब फिर
ईसको एक पिता बनाते देखा है
ना खेल सका उस गुड़िया से
संग समय बिताने बचपन से


उसको मैंने आँसु बहाते देखा है
जब पिता ने प्राण को त्याग दिया
अर्थी को कांधा देने को उसको
बस कुछ ही पल का समय मिला


माँ को छोड़ अकेले फिर
भारत का प्रहरी चला गया
है युद्ध अभी भी जारी ये
वो पुत्र , पति ओर पिता तो है


पर देश भक्ती क़े भाव बड़े
ना बता सका, ना जता पाया
कुछ पुण्य किए होंगे उसने
जो क़र्ज़ भूमी क़ा चुका रहा


अपना सर्वस्व ज़ो धरती पर
हँसते हँसते है लूटा रहा
हर वीर क़ी यही कहानी है
जो मुझको आज सुनानी है


क्या चुका सकेंगे क़र्ज़ कभी
जो हम पर है वो चढ़ा रहा
एक युवा की आँखो में मैंने
फिर मौत का ज्जबाँ देखा है


Rekha Jha

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