हिम्मत . . .

डरना नहीं , तुम झुकना नहीं
दुखो से कभी घबराना नहीं
तुम हो ईश्वर क़ी परम कृती
बस आगे बड़ते ही जाना


माना अभी दुःख क़ी बदली है
माना है काली अंधियारी
पर रोक ना पाएगी तुमको
मुश्किलों से ऊपर उढो


दिन फिर निकलेगा सूरज संग
बन के उजाला फिर चमको
तुम डरना नहीं तुम झुकना नहीं
तुम थोड़ी सी हिम्मत करलो


तुम हो वीर शिवाजी क़ी संतान
तुम बस ये फिर से दम भर लो
बन जाओ फिर पर्वत से तुम
है झुका सके किसमें है दम


माँझी बन राह बनाओ तुम
है डरा सके किसमें है दम
है तुम्हें क़सम मत हारो तुम
है तुम्हें क़सम मत सोचो तुम


है तुम्हें क़सम मत टूटो तुम
जब मन में तुमने ठान लिया
मै भी छू सकती हूँ अम्बर
जब मन में तुमने ठान लिया


मै नहीं हूँ किसी से कमतर
जब मन में तुमने ठान लिया
बनना है सबसे ही बेहतर
फिर कौन तुम्हें अब रोकेगा


छा जाओ नील गगन पर तुम
डरना नहीं , झुकना नहीं
तुम बस ये हिम्मत कर लो

Rekha Jha

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