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लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सीखा दिया हवा में उड़ रहे थे हम, तूने ज़मीन पे चलना सीखा दिया स्वार्थ, अकेलेपन और मतलब में थे हम तूने हमें सबके साथ परमार्थ करना सीखा दिया।
लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया उड़ते रहते थे ख़्वाबों के अंजुमन में हम पता ही नहीं चला तूने कब धरापल पर ला दिया कहते थे जो ना है मरने की फुरसत हमें
तूने उनको मरने का ख़ौफ भी दिखा दिया भागते रहते थे जीवन की आपा धापी में जो उनको शांत कर फुरसत से रहना सिखा दिया। लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया
अभी तक थे जो बच्चे घर के काम से अनजान तूने उनको प्यार से वो करना बता दिया कोरोना वायरस से कैसे बचना है उन्हें क्रिटिकल थिंकिंग भी मानो सीखा दिया
भूल गए थे जो सुनना मां की लोरी दादा दादी नाना नानी की प्यारी कहानी वो सब उनको दोबारा सुना दिया। अपनी संस्कृति के पुराने रीति रिवाज
जूते चप्पल बाहर, हाथ पैर बार बार धोना हाथ मिलाना छोड़कर, सर झुका हाथ जोड़ नमस्कार करना पश्चिमी सभ्यता को अपना भूल गए थे हम जो वक़्त ने ऐसी करवट बदली
लॉकडाउन तूने फिर याद वो दिला दिया। पिज़ा, बर्गर, चौमीन ही हमेशा खाना कोल्ड ड्रिंक, समोसे और चटनी का बहाना भूल गए अब वो सारे फास्ट फूड
मां के हाथ की रोटी सब्जी का स्वाद तूने बच्चों को फिर से याद दिला दिया लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया। भूल गए थे जो दिल की गहराइयों को
भूल गए थे जो करना खुद से खुद की बातें भूल गए थे बचपन की सारी शरारतें भूल गए थे दोस्तों के साथ मिलना हस्ना सोशल दिस्तंसिंग में भी तूने वो
सब दोबारा याद दिला दिया लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया। तारे कहां दिखते थे आसमां में पक्षियों का भी खो गया था बसेरा खुली हवा में भी जैसे घुला था ज़हर गंगा जमुना का पानी हो गया था मेला
तूने जैसे एक जादू की छड़ी से सब कुछ पहले जैसा बना दिया लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया।
कितनी मोहताज रहती थी दूसरों पर हर काम के लिए मुंह देखती थी लगता था ना कर पाऊंगी अकेले थक जाती थी मुंह फेरती थी पर अब वही ही में हूं देखो मुझको
हर काम स्वयं मै करती हूं खुश हूं, स्वस्थ हूं, आत्मनिर्भर हूं में तूने मुझे खुद से खुद को मिला दिया लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया।
सब मै रहता है एक छोटा सा बच्चा मासूम और मन का सच्चा खुलकर हसना वो भूल गया था बचपन उससे रूठ गया था
बड़े होने की एवज में जैसे छुटपन कोई लूट गया था आज मिले जब फुरसत के पल दोबारा वो लोटा है जैसे वहीं पुराने खेलों के संग,
बचपन फिर से जिया है ऐसे लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया। सबसे बड़ा बदलाव जो आया वो है मेरा मुझसे मेरी सांस का नाता वो तो मां है पहले सी हैं मै ही बेटी ना बन पाई थी
एक सिसक रहती थी मन में वो मेरा दर्द ना समझ पाई थी अब जब के कहती बेटी बस कर तू भी तो अब थोड़ा आराम किया कर
नम हो जाती आंखें मेरी जैसे ममता उनकी देखकर तूने मुझे आज बहु से एक बेटी बना दिया लॉकडॉउन तूझे सलाम, तूने हमें जीना सिखा दिया।
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