देश कहलाता विश्व का गुरु है।
जनसंख्या में द्वितीय स्थान है
युवा देश के भावी कर्णधार हैं।
बच्चे देश की आन बान शान हैं।


गरीबी देश पर अभिशाप है।
भूख ले लेती बच्चों की जान हैं
कच्ची झोपड़ियों  के ये बच्चे हैं।
देश पर बने प्रश्न चिन्ह ये बच्चे हैं।


अधनङ्गे,बिन नहाएं दुःखी बच्चे।
साँवले छरहरे,कुम्हलाए से बच्चे।
भोजन की आस में कतार में बच्चे।
पपडाये ओंठ ,सवाल बने ये बच्चे।


हाथ में खाली कटोरा लिए हैं।
पेट की आग ,जलती आँखे हैं।
भीख  की रोटी का इंतजार हैं।
पल पल पड़ता भारी वक्त हैं।


बहुतों के धड़ पर कुर्ता नहीं हैं।
कुछ चौकड़ी मार बैठे हुए हैं।
कोई गाल पर हाथ रख बैठा हैं।
कोई उकड़ू ही तो बैठे हुए हैं।


आँखों में निराशा,चिंता ,दीनता हैं।
भूख ,गरीबी का करुण चित्र से हैं।
कोई मुँह में तिनका दबाए बैठे हैं।
सबकी नजरों में इंतजार भरा हैं।


श्वेत श्याम तस्वीर मुखर हैं।
दरिद्रनारायण इनमें बसे हैं।
भूख से पीड़ितबच्चे बैठे हैं।
भविष्य के नौनिहाल बैठे हैं।


भारत की कैसी ये तस्वीर हैं,,
स्वर्णिम  भारत की तकदीर हैं,,
चाँद ,मंगल पर गए देश के बच्चे हैं
देखों कितने लाचार भीख माँगे हैं।


जागों,, भारत वासी ,,देखों इनको।
खिलौने ,कपड़ें ,भोजन तो दे दो।
बुनियादी जरूरते पूरी तो करो।
नेताओं ,अफसरों अब तो जागों।


अच्छे दिनों के ये कैसे रंगरूप हैं।
भूखे  ,उघड़े बदन बच्चे बेहाल हैं।।
छोटी छोटी खुशियों से महरूम हैं।
सम्पन्न वर्ग  को मदद को ताकते हैं


अधखुले होंठों पे फरियाद हैं।
नन्हे लड़के लडकिया बैठे हैं।
कोई मसीहा  भोजन देता हैं।
तो भरपेट ये खा पाते कभी हैं।


पिचके गाल ,झांकती हड्डिया हैं।
बड़ी बड़ी आँखों में करुणा हैं।
कुछ कहने को आतुर ये लगते हैं
मरने को भूखे ,बेज़ार से लगते हैं।


किस्मत के मारे पंगत में बैठे बच्चे।
घने तमस से दुर्भाग्य झेलते बच्चे।
खुशी ,उमंग,सुकूँ को तरसते बच्चे।
हाय!करुणा जगाते मन में  बच्चे।


पेट पीठ से पिचके ,कंकाल से बच्चे
भूख की सुरसा के बदरूप बच्चे।
लाचारी झलकाते बेचारे बने बच्चे।
उफ़्फ़,विभीषिका झेलते बच्चे???

Neelam Vyas

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