इन दिनों चारों तरफ डर का माहौल देख रहा हूं 
यह महामारी नहीं लोगों के लिए मजाक देख रहा हूं

मानव जाति पर मानों संकट का प्रहार देख रहा हूं 
यह बेजुबान जीवों पर किए जुल्म का अभिशाप देख रहा हूं

वीरान सड़क और सुनसान शहर देख रहा हूं
किसी कोरोना नामक महामारी का खौफ देख रहा हूं

इन दिनों किसी का कोई दुश्मन नहीं देख रहा हूं
जों सड़कों पर उतरे हैं उसको ही सबका दुश्मन देख रहा हूं

इन दिनों जवानों को परेशान देख रहा हूं 
हां इन दिनों बुजुर्गो को बिमार देख रहा हूं

Pradeep Chauhan

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