दूर बैठा है बेटा, माँ के कलेजा भर भर आता।
पता है महफ़ूज है मगर कोरोना का कहर सताता।

अपने हाथों से बना कर खाता,मित्रों संग उठता  ,रहता।
माँ की फिक्र का मगर कही कोई अंत नजर नहीं आता।

रोज रोज के हादसे सुन कलेजा मुँह को आता।
प्रार्थना करती रहती माँ दिल को चैन कब मगर आता।

हे देवी माँ,रक्षा करना मेरे जिगर के टुकड़े  को दूँगी जगराता।
व्रत करू ,पाठ करू माँ अब तेरा ही आसरा माता।

बेटा जताता तो नहीं मगर मन ही मन घबराता तो होता।
काश कोई स्नेह से बेटे के मस्तक को चूम ही आता।

ए हवा ,ए दिनकर तुम जाना बेटे को दिलासा दे आना।
ए चाँद की उजली किरण बेटे का  चेहरा सहला आना।

लॉक डाउन में मिलने को कोई रास्ता नजर भी नहीं आता।
मेरे बेटे को हे दुर्गा माँ तू ही जा कर सम्भाल आना।

रात दिन माला फेरु,हर पल माँ दुर्गा से विनती करू।
कोरोना के कहर से बच्चों को  माँ तुम ही अब बचाना।

इन आँखों को अब इंतजार कब देखूँगी बेटे का मुझ माता।
नव रात्र में कोरोना के संकट को हर सुख बरसा  दो माता।

मेरी जैसी अनेक माए,, चिंतित हैं बेटों  बेटी के दूर रहने पर।
सबको बचाना कोरोना के कहर से,,ए दुर्गा माता।

व्रत ,पूजा ,नियम धर्म के सब फल तू बेटे को दे दे।
पुकार रही ओ जगतमाता तुझको मुझ सी हर अबला माता।

माँ का दुख तो माँ ही समझती और कौन समझता,,
ए अम्बा माता ,संकट से तारों अब तुम माता।

Neelam Vyas

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk