दर्द का जलता सा एहसास   लिखूँगी।
जज्बों का दहकता अलाव जगाऊंगी।

अक्स तिरा मदहोश करे किस कदर लिखूँगी।
लबों की थरकन का बेतहाशा हिसाब लिखूँगी।

आ आज तुझे मैं खुद में दफन कर जी लूँगी।
मुझसे पूछेगा कोई तेरी बावस्ता तो लापता लिखूँगी।

दर्द के सैलाब में मुकम्मल डूब कर भी खुशमिजाज लिखूँगी।
बेलौस मोहब्बत को लफ्ज़ो में पिरो मैं अदीबा खुद को लिखूँगी।


जर्रा हूं तिरी तिश्नगी में तड़फ खुद को आफ़ताब लिखूँगी।
ए सरताज तू  दुनिया मेरी ख़ुद को  तलबगार लिखूँगी।


मशक्क़त से हासिल तेरी मोहब्बत को जन्नत लिखूँगी।
कोई पूछे मेरा पता तो तिरा दिल  मिरा घर लिखूँगी।

तिरे इश्क की आफ़ताब से ख़ुद को गुलनार लिखूँगी।
दरिया की उठती मौजों को तेरा  दिलकश अंदाज लिखूँगी।

तुम बहुत दूर हो मुझसे पर हर लम्हें तुमको पास लिखूँगी।
मेरे महबूब तुम चाँद मेरे ख़ुद को उजली किरण लिखूँगी।

Neelam Vyas

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