चलो इक़ ऐसा मज़हब चलाया जाए।
नेकी,इंसानियत को पूजन बनाया जाए।

सिर्फ इंसान ही,सिर्फ   भारतीय हो यही पढ़ाया जाए।
दान ,पुण्य ,सेवा को अनिवार्य बनाया जाए।


एक ईश्वर,एक अल्लाह ,एक ही रब को माना जाए।
गरीब ,दुखी,असहाय को दुःखो से रहित किया जाए।


मिले सबको रोजगार ऐसा कर्म का मंदिर बनाया जाए।
महिलाओं को सम्मान ,सुरक्षा ऐसी मस्जिद बनाई जाए।

कोई भूखा न रहे ऐसा गुरुद्वारा का लंगर चलाया जाए।
सभ्य,शिष्ट हो हर युवा ऐसा जागरण किया जाए।

किसान न आत्म हत्या करे ऐसा फतवा जारी किया जाए।
बलात्कार के अपराधी को चौराहे पर सूली  चढ़ाया जाए।

बस मानव धर्म का देश मे पालन किया जाए।
नाम के आगे सरनेम नहीं कभी लगाया जाए।

आरक्षण को जड़ मूल से मिटा युवाओं को कर्मठ बनाया जाए।
राजनीति के गंदे खेल को बंद कर सदाचार बढ़ाया जाए।

कर्मकांड,पोंगा पंडित को धता बता वैज्ञानिक सोच बनाई जाए।
कर्म प्रधान जीवन को ही विलासता से श्रेष्ठ बनाया जाए।

काश,,,भारत को विकसित  देश की राह में बढ़त मिले।
बस उन्नति ही हर भारत वासी का ध्येय बन जाये।

दंगे ,हत्याकांड ,लूट ,चोरी को मिटाया जाए।
शांति ,सुकूँ ,चैन को भारत की पहचान बनाया जाए।

आओ ,,मिलकर करे सामना,कोरोना जैसी बीमारी का।
स्वच्छ ,रहे,स्वस्थ रहे,हर रोग को अँगूठा दिखाया जाए।

Neelam Vyas

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