मेरे इस दिल का करार हो तुम
जरा अलग से सरकार हो तुम।

तलाश थी हमको जो मोहब्बत
उसी का तो उपहार हो तुम।

तुम्हारे बिन था सब उजड़ा उजड़ा
खुशी जो दे वो बहार हो तुम।

तुम्हें समझते समझते लगता
मुझी में थोड़ा शुमार हो तुम।

न दिन को उतरे न रात हो ही
चढ़ा कुछ ऐसा खुमार हो तुम।

न जाने फ़िर भी क्यूँ लग रहा है
जिसे न चाहा वो हार हो तुम।

मुरीद थी वानी तेरी कब से
जिसे न पाया वो प्यार हो तुम।

Vani Agrawal

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