दब गए जिम्मेदारियों में खो गया हमसे वो बचपन
चाहता है ये दिल मेरा अब आ जाये फ़िर से बचपन।
लुका छुपी पकड़म पकड़ाई खेल खिलौने चले गये
दादी नानी वाली कहानी वो राजा रानी चले गये
अब आंखों मे बसने लगी चकाचौंध पैसे की खनखन
चाहता है ये दिल मेरा अब आ जाये फ़िर से बचपन।
दो पैसे के लिये झगड़ना कंपट चूरन इमली खाना
बजा बजा के घंटी सबकी भाग भाग के उन्हे सताना
तब से चौखट सूनी हो गई जब से दूर हुआ है बचपन
चाहता है ये दिल मेरा अब आ जाये फ़िर से बचपन।
सारे साथी अपनी धुन में अपने कामों में खोये हैं
बूढ़े बरगद के नीचे अब भी कुछ सपने सोये हैं
आम रसीले नही रहे अब न मुस्काता है वो उपवन
चाहता है ये दिल मेरा अब आ जाये फ़िर से बचपन।
जहां सबसे एक रिश्ता सा था हर कोई अपना सा था
मिलजुल कर त्यौहार मनाना हर मजहब ही अपना था
बड़े हूए लेकिन जैसे हम दिल से दूर हुआ अपनापन
चाहता है ये दिल मेरा अब आ जाये फ़िर से बचपन।
दब गए जिम्मेदारियों में खो गया हमसे वो बचपन