कवि हो दृष्टा,, गहन ,गम्भीर अवलोकन करने वाला।
कवि हो सृष्टा,,नव भाव ,नव उन्मेष को रचने वाला।

कवि हैं ब्रह्मा के समान,चरित्रों को गढ़ने वाला।
कवि हैं वैज्ञानिक, नव शब्दों ,नव भावों को प्रयोग करने वाला।

कवि आविष्कारक हैं ,नए नए भाव मानवता हेतु रचने वाला।
कवि मानवता वादी हैं मानव मूल्यों का प्रसार करने वाला।

कवि सन्त हैं सबको समग्र दृष्टि   कोण से देखने वाला।
सच्चा कवि पुजारी हैं मानव मन मंदिर के देव को पूजने वाला।
मैं आराध्या हूँ, मैं कवयित्री हूँ ,शब्द ब्रह्म की रचना करने वाली।
मैं नारी हूँ मैं भी  सन्तति उतपन्न करती हूँ,,  काव्य भी रचती हूँ।

Neelam Vyas

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