तुमसे दिल लगा बैठा कितना अनजान हूँ मैं,
शायद इश्क़ में जवां नहीं हुआ अभी नादान हूँ मैं।
बेइन्तहा मोहब्बत करता हूँ तुझसे,
मौसम की तरह बदल जाऊं नहीं वैसा इंसान हूँ मैं।
हमेशा मेरे दिल मे कैद है तुम्हारी धड़कन,
धड़कते रहना सदा संजोया अरमान हूँ मैं।
तुझे अपना माना लेकिन तुम बेवफा निकली,
डर लगता है दिल लगाने से इतना परेशां हूँ मैं।
बड़ी शिद्दत से चाहा यह मेरी भूल थी,
अपना बन दे गई जख्म इस बात हैरान हूँ मैं।

Vivek Kumar Tiwari

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