आज नई ध्वज से गणतंत्र दिवस फिर आया है
नव परिधान बसंती रंग माता ने पहनाया है 
तार तार में है गुंथा ध्वज तुम्हारे त्याग की गाथा लाया है
सेवक सैन्य 40 करोड़ कौन देख सकता है 
कुभाव से हमारे ध्वज की ओर
 हम नहीं चाहते किसी का अहित अपकार प्रेमी शक्ल से परिपूर्ण 
है भारतवर्ष उदार
आज नहीं ध्वज से गणतंत्र दिवस फिर आया है 
नव  परिधान बसंती रंग माता ने पहनाया है 
याद करेगा जमाना हमें ऐसा कुछ काम कर जाना है 
आदर्श बने दुनिया के लिए रामराज्य इतिहास को फिर दोहराना है
गांधीजी ने देखा जो सपना उसे है सच कर दिखाना है 
आज नई ध्वज से  गणतंत्र दिवस फिर आया है 
नव प्रधान बसंती रंग माता ने पहनाया है 
साहस को हथियार बनाकर निराशा के अंधकार को मिटाना है
इस सोने की चिड़िया को राष्ट्र गौरव को बढ़ाना है 
आज नई ध्वज से गणतंत्र दिवस फिर आया है 
नव परिधान बसंती रंग माता ने पहनाया है 

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