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किसी को दर्द सुना पाते तो हल्के होते , गले किसी को लगा पाते तो हल्के होते। पढ़े - इबादत में असर पैदा करो . . . जहां इतना बड़ा लेकिन नहीं कोई अपना, किसी को अपना बना पाते तो हल्के होते ।
जिंदगी गुजर गई गैर के दर पर अपनी , आशियां अपना बना पाते तो हल्की होते। पढ़े - इस मुल्क के दो टुकड़े करा . . . तलाश करते रहे हम जिसे मंदिर मस्जिद , कहीं सर अपना झुका पाते तो हल्के होते।
ढूंढते रह गए खुशबू चमन में औरों के, चमन गर अपना सजा पाते तो हल्के होते। पढ़े - प्यार में . . . थक गए चलते हुए दूसरों की राहों पर, डगर जो अपनी बना पाते तो हल्के होते।
देखते रह गए अच्छा है कौन बुरा यहां, पता जो खुद का लगा पाते तो हल्के होते । पढ़े - महिखाने सी भरी हुई है . . रहे जो नापते दूरी ही हम खयालों की, जमीन पे पैर जमा पाते तो हल्के होते।
मजहब की ढोल पीटने में वक्त गया, दिल में गर प्यार बसा पाते तो हल्के होते । पढ़े - नहीं पेट भरता महज . . . फर्क कर पाये कहां दोस्त और दुश्मन में , दिल से गर भेद मिटा पाते तो हल्के होते ।
नफरतें कम कहां कर पाए हम शाहरुख कभी , जहां से प्यार निभा पाते तो हल्के होते।
👌👌👌
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