जिंदगी की राहों में,
तुझ बिन हम अकेलें हैं।

पढ़े - इश्क के दहलीज़ पे . . .
क्या कहूँ,
अब क्या करूँ मैं
साथ जो तुमने छोड़े हैं।

जिंदगी जो उलझी हैं,
जीते जी मैं क्यों राख बन कर रह गया हूँ,
तेरे बिन ऐ सनम मैं ख़ाक बनके रह गया हूँ।

Shubham Poddar

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk