माना की गुनाह-ए-इश्क किया था,

पर अब हमसे कोई गुनाह नही होगा,

इश्क में हमे कोई सजा नही होगी,

पढ़े - देर कर दी तुमने

दिया था जो तुमने हमें दगा,

उस दगा से बढ़ कर मेरे लिए कोई सजा नही होगी,

इश्क में अब हमे कोई सजा नही होगी,

पढ़े - खाक में मिल गए जज़्बात

प्यार करने का गुनाह,

अब फिर हमसे नही होगा,

इश्क में अब हमे सजा नही होगी,

पढ़े - गम हम जुदाई का पिए जा

भुला दिया अब हमने तुझे

अब तेरे साथ कभी आँखे चार नही होंगी,

इश्क में अब हमे कोई सजा नही होगी।

पढ़े - क्यों बेटी हुई तो मातम छाया

अब तेरी यादों के बिस्तर पे

आँसुओं की बौछार नही होगी,

मेरी दिल की दीवारों पे

पढ़े - ईर्ष्या की ईट से

अब तेरा नाम नही होगा,

इश्क में अब हमे कोई सजा नही होगी,

पढ़े - जिंदगी का पहला ख्वाब

तेरे इश्क में अब मेरा दिल डूब नही पाएगा,

फिर से अब मोहब्ब्त में मेरा दिल कभी सजा पाएगा।

   Shubham Poddar

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

इस पोस्ट पर साझा करें

| Designed by Techie Desk