सुलोचना पति के अदालत जाने के बाद घर की साफ-सफाई अच्छे से करने लगी । फिर अपना कुछ सामान भी बैग में पैक कर लिया था । मां के दिए जितने भी जेवर थे सभी समेट कर बैग में रख लिया । फिर बैग को गोदरेज में छिपाकर रख दिया ताकि अखिलेश की नजर उस बैग पर नहीं जाए ।
छः महीने पहले ही अखिलेश और सुलोचना की शादी हुई थी । मगर सुलोचना इस शादी से खुश नहीं थी । क्योंकि उसके दिल में तो कोई और बस रहा था ।
सुलोचना की शादी तय हुई थी तो उसने विनय को कहा था कि "विनय मैं अन्य से विवाह नहीं कर सकती क्योंकि मैंने तुझे दिल से अपना माना है"
विनय ने सुलोचना से शादी से पहले आने का वादा किया था और कहा था हमदोनों घर से भागकर शादी कर लेंगे । फिर सुलोचना विनय का इंतजार करने लगी । समय पंख लगाकर उड़ने लगे ।
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शादी का दिन भी आ गया मगर ना ही विनय आया और ना ही उसका कोई फोन आया ।
हारकर सुलोचना को अखिलेश से शादी करनी पड़ी ।
अखिलेश एक सुप्रसिद्ध जज था ।
शादी के बाद ही अखिलेश को एहसास हो गया कि सुलोचना उससे खुश नहीं । एक दिन अखिलेश को सुलोचना की डायरी मिली तो उसने पढ़ ली फिर उसे सारा मामला समझ आ गया ।
शादी के छः महीने बाद अचानक विनय ने सुलोचना से संपर्क किया । और अपनी मजबूरी का रोना रोने लगा । उसने कहा दुबई पुलिस ने उसे शक के बुनियाद पर गिरफ्तार कर लिया था! जिस वजह से वह सुलोचना को अपना नहीं बना सका ।
मगर अब वह सुलोचना को लेने के लिए आ गया है ।
सुलोचना के दिल में चाहत की चिंगारी जल उठी ।
उसने फैसला कर लिया था अखिलेश को छोड़ने का ।
इसलिए आज सामान भी पैक कर लिया था ।
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अखिलेश अदालत से आने के बाद आराम करने लगा फिर डिनर करके बेड पर आ गया ।
सुलोचना ने अपना मोबाइल टेबल पर ही छोड़ दिया था और बर्तन साफ करने चली गई ।
जब तीन चार बार लगातार मैसेज की बीप बजी तो अखिलेश ने मोबाइल चेक किया । विनय का मैसेज पढकर अखिलेश को धक्का लगा, मगर वह एक संजीदा इंसान था । चुपचाप सो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ।
सुलोचना भी कुछ देर बाद आकर सो गयी ।
सुबह होने पर तैयार होकर जब अखिलेश बैग लेकर ऑफिस के लिए निकला तो सुलोचना से पूछा ।
"मेरे पास एक ऐसा केस आया है और कैसे न्याय करूं? समझ नहीं आ रहा"
तब सुलोचना ने विवरण बताने को कहा तो अखिलेश ने कहा -"एक पत्नी अपने प्रेमी को पाने के लिए अपने पति को छोड़ना चाहती है"
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"जबकि उसे ऐसा शादी से पहले ही करना चाहिए " "शादी के बाद ऐसा करने का उसका हक नहीं"
"क्योंकि शादी बाद उसकी इज्ज़त केवल उसकी नहीं रहती बल्कि उसके पति से भी जुड़ जाती है" प्रेमी के साथ भागकर वह एक पत्नी की मर्यादा रेखा को पार करना चाहती है"
"क्या उसे ऐसा करना चाहिए? अखिलेश ने पूछा तो सुलोचना चुप हो गयी । उसके पास कोई जवाब नहीं था ।
जब शाम को अखिलेश अदालत से लौटा तो उसको लगा कि, सुलोचना उसको छोड़कर जा चुकी होगी ।
मगर घर में जब प्रवेश किया तो देखा कि सुलोचना बैग से सारे सामान निकालकर यथा स्थान पर रख रही है । सुलोचना की नज़र जब अखिलेश पर पड़ी तो उसने मुस्कुराते हुए बेहद प्यार से नाश्ते के लिए पूछा था । सुलोचना को अपने कर्तव्य का एहसास हो चुका था ।
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