हाथ में जब गुलाब देते हो ।
ज़ख्म तुम बेहिसाब देते हो ।

 रुह से माजूर हो गए तो फिर,
सब कहेंगे अजाब देते हो।

पढ़े - दीवानगी का सुरूर - भाग - 1

रस्में उल्फत को समझो तो दिलबर ,
बेतुके ही  जवाब  देते हो ।

जा चला जा तू जिंदगी से अब,
इश्क की क्यों  किताब देते हो ।

पढ़े - गुलाब सी बिटिया

ज़ख्म की जब दवा माँगूं तो ,
पीने को बस शराब देते हो ।

बेवफाई की जद में आकर के,
अश्क़ों के तुम खिताब देते हो ।

पढ़े - अनोखा मिलन.


लौटने का बहाना कर जाते,
अपने को ही सवाब देते हो ।

प्यास से दिल तड़प रहा संगदिल ,
बस ज़माने को आब देते हो ।

पढ़े - जुल्फों में सोने दे


राख में भी "यशी" सभी कुछ है,
उसको बोलो क्यों ख़्वाब देते हो ।

Radha Yshi

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