एक सप्ताह बाद अभय ऑफिस जाने लगा था ।
अभय की मां स्वरा की तारीफ़ करते नहीं थकती ।
एक दिन ऑफिस की तरफ से एक शानदार पार्टी थी । अभय के दोस्त ने रखी थी । अभय ने स्वरा के लिए मैरून कलर की साड़ी लाई थी । अभय की फेवरिट रंग मैरून थी । "स्वरा ये पहन लो "
अभय ने कहा । फिर तो स्वरा की खुशी का कहना ही क्या ?बड़े दिल के साथ तैयार हुई थी स्वरा ।
आज लगता था चाँद जमीं पर उतर आया हो ।
अभय की लायी साड़ी पहनकर स्वरा का रूप और दमक उठा । जब कमरे से बाहर निकली स्वरा तो अभय देखता ही रह गया । फिर स्वरा ने ही उसकी तन्द्रा तोड़ी फिर वह होश में आया ।
पार्टी में हर कोई स्वरा को मन ही मन सराह रहा था ।
अब तू ही बता पिया - भाग - 1 - अब तू ही बता पिया - भाग - 2 - अब तू ही बता पिया - भाग - 3
इसी बीच अभय का एक दोस्त मिल गया! उसने अभय का हाथ पकड़कर अपने एक पार्टी से मिलाया।
स्वरा अकेली पड़ गयी । एक लड़का हाथ में व्हिस्की की बोतल थामे स्वरा से कुछ कहने लगा, दूर से अभय ने देखा जब उस लड़के ने जबरदस्ती स्वरा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचना चाहा तो ,,अभय भागता हुआ आया और उस लड़के की धुलाई कर दी । व्हिस्की की बोतल टूट गयी और उस लड़के के मुँह से खून आने लगा । सबने मिलकर अभय का गुस्सा शांत किया । फिर अधूरी पार्टी छोड़कर अभय स्वरा को गाड़ी में बैठाया और घर आ गया ।
बारह बज चुके थे । स्वरा अपने बेड पर जाकर लेट गयी और अभय स्टडी रूम में चला गया ।
अलमीरा खोलते वक्त एक फाइल गिर पड़ी तो ,उसने फाइल खोलकर देखा उसमें मोनिका की फोटो देखकर कुछ पल के लिए अभय शांत हो गया ।
अपने अतीत में खो गया अभय । एमबीए जब कर रहा था अभय तो उसकी दोस्ती मोनिका से हो गयी! फिर दोस्ती प्यार में बदल गया । मोनिका की मम्मी बीमार थी इसलिए उसकी शादी करना चाहती थी ।
जब मोनिका ने अभय से कहा तो अभय बोला एक साल इन्तज़ार करो मोनिका ,क्योंकि इसी साल मेरे पापा की मौत हो चुकी है । मुझे कुछ बन जाने दो ।
मगर दोनों ही अपनी जगह मजबूर थे । मोनिका ने अपनी मम्मी की पसंद से शादी कर ली । और अभय ने कुँवारा रहने का ही सोच लिया था! मगर मम्मी की कसम के आगे मजबूर होकर ,स्वरा से शादी किया ।
आज अभय ने अपने अंतर्मन में झांका! उसे लगा उसका भी तो एक अतीत है ,फिर स्वरा से नफरत क्यों? अभय को उसके सवालों का जवाब मिल चुका था ।
एक बजे बेडरूम में अभय आया तो देखा कि स्वरा सोई है, पूरा हाथ बेड के बाहर लटक रहा है मासूम सा चेहरा । फिर अभय ने उसके हाथ बेड पर रखे और बेड के किनारे से हटाकर उसे बीच में किया नींद में ही स्वरा ने अपनी बाहें अभय के गले में डाल दिया ।
स्वरा के हुस्न के आगे अभय विवश हो गया ।
उसे यह एहसास अच्छा लगा कि इतनी हसीन लड़की मेरी बीवी है! फिर उसने उसके गालों पर चुंबन जड़ दिया फिर तो चुंबनों की बौछार होने लगी ।
स्वरा की भी आँखे खुल गयी उसे ये सब एक सपना लग रहा था! एक हसीन सपना । उसका मन गदगद हो । दोनों एक-दूसरे में समा गए जैसे वर्षो के बिछड़े प्रेमी आलिंगन बद्ध हो गए हो, रेगिस्तान की तपती जमीं पे मूसलाधार बारिश स्वरूप ।
सुबह-सुबह जब अभय की आंखें खुली तो देखा! उसकी बाहों के घेरे में स्वरा सोयी है ,उसने अपने दोनों हाथ अभय के गले में डाल रखा था । अभय के होंठो पर मुस्कान रींग गयी! कि तभी स्वरा की नींद खुली वह हड़बड़ाकर उठी और बोली "ओहह सात बज गए मम्मी के लिए चाय बनानी है " फिर वह उठकर जाने लगी कि अभय ने उसकी साड़ी के पल्लू खींचकर उसे अपनी ओर खींच लिया और कहा "चाय बाई अम्मा बना लेगी, फिलहाल तुम मेरी फिक्र करो दिल की प्यास अभी बुझी नहीं"
अब तू ही बता पिया क्या करूं "बस थोड़ा इन्तज़ार कीजिए" स्वरा ने कहा ।
नहीं तीन महीने इन्तज़ार किया अब और नहीं मदहोशी के आलम में चूर अभय ने कहा ।
फिर से उसने जाने की कोशिश की तो अभय ने जोर से उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया ।
और स्वरा की सांसे थम गयी ।
जिंदगी की बगिया मुस्कुरा उठी । सूरज की रोशनी ने जिंदगी में खुशियाँ बिखेर दी ।
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