ख़ता मेरी नहीं फिर भी, क्यों दिल मेरा तड़पता है ।
तुम्हीं से मिलना चाहे इसलिए शायद बहकता है ।
बहाने को बनाना मैंने सीखा ही नहीं यारा,
छिपाया राज को मैंने यही तुमको खटकता है ।

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मुहब्बत मुझसे होगी तो तुम मेरे पास आओगे,
मुझे विश्वास है तुमपर जहां तुम में सिमटता है ।
मेरी साँसों में बसते हो तो कैसे दूर होगे अब,
व़फा मेरी जो सच्ची है तभी चेहरा भी बहता है ।

पढ़े - राजे दिल सबसे छिपाया कीजिए . . .
दुआ में माँगती तुमको कैसे जतलाऊँ मैं दिलबर,
तुम्हें खोने के ही एहसास से जिय भी दहलता है ।
न मुझसे दूर जाना अब मेरे ही पास रहना तुम,
यही है इल्तिजा मेरी यही सीने में पलता है ।

पढ़े - आज हमसे अलविदा वो हो गया . . .
"यशी"  काबिल नहीं तेरे म़गर क्यों प्यार करती है,
जो भी हो फैसला तेरा तुम्हीं यादों में रहता है ।

Radha Yshi

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