तेरी यादो के बिस्तर पे,
मेरे ये दिन गुजर रहे हैं।

तेरे सपनों के चादर तले,
मेरी ये काली रात कट रही है।

पढ़े - इजहार हो न पाया

बेसुध हो गई हूँ तेरे इंतजार में,
फिर भी हौले-हौले तुझ से प्यार बढ़ रहा है।

तेरे बिन यारा बस मेरे दिन गुजर रहे हैं,
मोहब्ब्त में मंजिल पाने खातिर,
तुझ बिन तन्हाई से गुजरना पर रहा है।

पढ़े - माँ तू ही है...

जिंदगी तुझ बिन बस यूँही चल रही है,
कभी मेरी तन्हाई तो कभी गम की परछाई,
मुझे अक्सर अंधकार में धकेलती रही है।

अब तो टूटे ख्वाब से लगने लगे हो तुम,
बिछड़े हुए अपनों से लगने लगे हो तुम।

पढ़े - ये कुर्सी के दीवाने

तुझ बिन अब यूँही दिन और रात गुजरती जाती है,
जिंदगी का तो पता नही पर तुझ बिन मुझे मेरी मौत नजर आती हैं।

       

Shubham Poddar

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