विराज एक साफ्टवेयर इंजीनियर था । आज ऑफिस में जल्दी ही सारा काम निपट गया, तो बॉस ने सबेरे ही छुट्टी दे दी । शाम पांच बजे अपनी गाड़ी लेकर घर की ओर निकल पड़ा । ऑफिस से घर की दूरी बारह किलोमीटर थी । आधी दूरी तय करने पर सड़कें सुनसान हो जाया करती थी !आज विराज जब सुनसान सड़क पर आया तो, जोर से चीखने की आवाज आई झाडियों से । कोई लड़की चीख रही थी ,फिर क्या था विराज ने गाड़ी रोक दी और झाड़ी के पास जाकर देखा !एक खूबसूरत लड़की लहूलुहान पड़ी थी ,उसके बाल अस्त व्यस्त कपड़े फटे हुए थे ।
"प्लीज मेरी मदद कीजिए "
इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 1 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3
इतना कहकर लड़की बेहोश हो गई । विराज ने उस लड़की को गोद में उठाकर फौरन हॉस्पिटल की तरफ़ भागा ।
हास्पीटल में डाक्टर ने कहा कि सीरियस केस है, उस लड़की को आईसीयू में रखा गया ।
डाक्टर का कहना था किसी ने गैंग रेप किया है! लड़की का तभी इस हाल में पहुँची । "लड़की का बचना मुश्किल है फिर भी हम कोशिश करते हैं" डाक्टर ने ये कहा । ये सुनकर विराज बौखला गया उसे चिंता होने लगी! उस लड़की की उसके घरवालों को खबर कैसे करेगा ? विराज ने उस लड़की का पर्स भी उठाकर लाया था । इसलिए पर्स चेक किया तो ,उसका मोबाइल मिल गया । फिर उसने उसके घरवालों को खबर किया ।
"प्लीज मेरी मदद कीजिए "इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 1 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3
इतना कहकर लड़की बेहोश हो गई । विराज ने उस लड़की को गोद में उठाकर फौरन हॉस्पिटल की तरफ़ भागा ।
दीवानगी का सुरूर - 1 --- दीवानगी का सुरूर - 2 ---दीवानगी का सुरूर - 3
फौरन डाक्टर ने एक लाख फीस की मांग की, मगर उसके घरवाले जब आए तो रोने लगे मध्यमवर्गीय परिवार से थे! वे लोग बेटी ही प्राइवेट नौकरी करके घरवालों की मदद करती थी! अब कैसे इतने पैसे लाते तो विराज ने ही अपने एकाउंट से बिल पे किया ।
जब दस बज गए तो ,विराज की मम्मी ने फोन किया तो विराज ने सारी सिचुएशन बता दिया । फिर उसकी मम्मी ने कहा कोई नहीं बेटे उनकी मदद कर दो ।
और अपना ख्याल रखना फिर फोन कट कर दिया ।
चौबीस घंटे के बाद लड़की की हालत में सुधार आया ।
लड़की होश में आ गयी तो ,घरवालों ने जब लड़की को निकिता कहके पुकारा तो विराज को लड़की का नाम पता चला । निकिता होश में आई तो विराज को धन्यवाद कहा ।
इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 1 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 2 - इश्क़ मेरा विकलांग नहीं - 3
"आपने अजनबी होकर मेरी इतनी मदद की आपका ये एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती" "बहुत जल्दी कमाके आपके पैसे लौटा दूंगी"
"निकिता जी ऐसा मत कहिए ये हमारा फर्ज था मैं उन दरिंदों को छोड़ूंगा नहीं जिसने आपकी ऐसी हालत की"
पुलिस पूछताछ के लिए आई थी । विराज कमरे से बाहर निकल आया । दोपहर को ही चाय पीया था विराज शाम होने को थी । उसके घरवालों को आश्वासन देकर विराज अपने घर लौट आया ।
विराज की मम्मी का मुखमंडल गुस्से से लाल हो गया था । बस चलता उसका तो उन दरिंदों को शीघ्र फाँसी पर लटका देती ।
विराज की मम्मी एक सुप्रसिद्ध लेखिका थी । नारी शोषण के खिलाफ ही लिखती थी । आज भी उसने पेपर में निकिता के शोषण के खिलाफ लेख लिखा था, जिसे पढ़कर जनसमुदाय आक्रोशित हो उठा था ।
फौरन डाक्टर ने एक लाख फीस की मांग की, मगर उसके घरवाले जब आए तो रोने लगे मध्यमवर्गीय परिवार से थे! वे लोग बेटी ही प्राइवेट नौकरी करके घरवालों की मदद करती थी! अब कैसे इतने पैसे लाते तो विराज ने ही अपने एकाउंट से बिल पे किया ।
जब दस बज गए तो ,विराज की मम्मी ने फोन किया तो विराज ने सारी सिचुएशन बता दिया । फिर उसकी मम्मी ने कहा कोई नहीं बेटे उनकी मदद कर दो ।
"आपने अजनबी होकर मेरी इतनी मदद की आपका ये एहसान मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती" "बहुत जल्दी कमाके आपके पैसे लौटा दूंगी"
"निकिता जी ऐसा मत कहिए ये हमारा फर्ज था मैं उन दरिंदों को छोड़ूंगा नहीं जिसने आपकी ऐसी हालत की"
पुलिस पूछताछ के लिए आई थी । विराज कमरे से बाहर निकल आया । दोपहर को ही चाय पीया था विराज शाम होने को थी । उसके घरवालों को आश्वासन देकर विराज अपने घर लौट आया ।
विराज की मम्मी एक सुप्रसिद्ध लेखिका थी । नारी शोषण के खिलाफ ही लिखती थी । आज भी उसने पेपर में निकिता के शोषण के खिलाफ लेख लिखा था, जिसे पढ़कर जनसमुदाय आक्रोशित हो उठा था ।