वफ़ा की कोई भी अदालत नहीं है,तभी  ठीक   मेरी  तबीयत  नहीं है ।

हैं गुमराह ही करने वाले सभी अब,
किसी को भी मिलती नसीहत नहीं है ।


दीवानगी का सुरूर - 1दीवानगी का सुरूर - 2
दीवानगी का सुरूर - 3

शराफ़त का वो दौर साहब गया अब, जहां में कहीं भी मुहब्बत नहीं है ।

कभी चांद रौशन हमारा भी होगा , छिपा वो रहेगा हकीकत नहीं है ।

सजाएंगे जब आशियाँ दिल लगा करकहेंगे  मुझे  आज  फ़ुर्सत  नहीं है ।

 तू मजलूमों को अपने दिल से लगा ले ,वहां प्यार की कोई किल्लत नहीं है ।

"यशी" हाथ अपना कभी खींचना मत, करो नेकी डर  की ज़रूरत नहीं है ।

Radha Yshi

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