Read A Poetry - We are Multilingual Publishing Website, Currently Publishing in Sanskrit, Hindi, English, Gujarati, Bengali, Malayalam, Marathi, Tamil, Telugu, Urdu, Punjabi and Counting . . .
दर्द क्या है सीने का ये पसलियां समझती हैं आपकी कमी की गरीबी को दुनिया क्या समझती है
आज भी कब्रिस्तान जाकर बैठ ते है। ओर जिंदगी उजाले कि तलाश में फिरती है। पढ़े - कैसे सोयेंगे रात भर . . . कई सदियों का सुख छीन कर दिया फिर भी सपनो को कब्रिस्तान दफना देती है।
पूरी जिंदगी रहे संसार के साथ हम... बगेर आपके जीदगी अंधेरी रात बनती है। पढ़े - क्या इतने बुरे है हम . . . हर कोई पूछे क्यों गुमनाम फिरते हो तुम... पर क्या कहूं उनके बगेर ये जिंदगी काटती है।