यूँ मेरी हर खबर न रखा कर,
कहि एक दिन मेरी मौत की खबर तुझे रुला न दे।

पढ़े - इजहार हो न पाया

मेरे करीब न रहा कर कहि 
मेरा दिल तेरा गुलाम न बन जाए,

पढ़े - ये कुर्सी के दीवाने
तेरी मोहब्ब्त में ये मुझसे ही कहि दूर न हो जाए।
तू अपने दिल को समझने की कोशिस तो कर,

पढ़े - माँ बहुत रोई थी
इश्क के पगडंडियों पे ऐसे चलने से तो रोक,
कहि फिसल गया तो वेवजह ही तकलीफ होगी।

Shubham Poddar

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