शिखा की बातें सुन ने के बाद अब आलोक कॉलेज जाने के लिए निकल पड़ा। आलोक कॉलेज जाते वक़्त बता के गया की वो कॉलेज से सीधा घर ही आयेगा। शिखा पुरा दिन आलोक का इंतजार करती रही। जैसे ही ५ बजे की वो घर के बहार आ के बैठ गई।

मिलने  की खवाईश... (भाग - १ )  ---  मिलने की खवाईश.... (भाग - २ )   ---  मिलने की  खवाईश... ( भाग - ३ ) 

       थोड़ी दैर में आलोक भी आ  गया। एसे ही १५ दिन कब गुज़र गए पता ही ना चला। शिखा और आलोक भी एक दूसरे को अपने मन की बात बता न पाए। पर हा वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे। शिखा के जाने का दिन आया उसी दिन आलोक को अपने कॉलेज में एसाईमेंट सबमिट करने थे। कॉलेज जाने का मन था ही नहीं। शिखा भी नाराज़ हो गई थी। पर आलोक भी कर ना सका। आलोक उदास हो के कॉलेज चला गया। शाम को जब कॉलेज से वापस आया तो देखा शिखा घर पर ही थी।


आलोक इतना खुश हो गया की जैसे उसकी कोई मन्नत पूरी हो गई हो। अब आलोक ने शिखा से मन भर कर बाते की पर अपने मन की बात ना वो बता पाया और ना ही शिखा। अगले दिन सुबह शिखा अपने घर जाने के लिए तैयार हो गई। जाते वक़्त आलोक ने अपने नंबर की एक चित बना के  शिखा के हाथ में रख दी। शिखा के जाने के बाद आलोक कॉलेज गया। अब आलोक शिखा को रोज़ याद करते था। उसका मन कही भी लगा नहीं। आलोक शिखा के फोन का इंतजार करता रहा पर शिखा का कोई फोन आया है नहीं। शिखा को गए हुए करिबन १ महिना ही हुआ था। पर उसका ना कोई मेसेज आया और ना ही फोन।

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         अब आलोक का सब्र नहीं होता था। ओर एक दिन आलोक ने ही शिखा के घर पर फोन कर लिया। लगदार दो बार फोन करने के बाद शिखा ने फोन उठाया। सामने शिखा की आवाज़ सुन ने के बाद आलोक को जान में जान आई। आलोक ने शिखा से पूछ ही लिया कि अब तक उसने फोन क्यों नहीं किया ? शिखा ने नंबर खो जाने का बहाना बताया। आलोक ने अपना नंबर फिर से शिखा को दिया। अब  हफ़्ते में एक बार शिखा बात करने को मिलती थी। ऐसे ही कुछ दिन गुज़र गए।


         पर जब भी आलोक शिखा से बात करता उसे कोई और ही हो ऐसा महेसूस होता था। अचानक एक दिन शिखा और उसका भाई दोनो अपने मामा के घर आए आलोक ने देखा। वो शिखा को देख कर इतना खुश हो गया की आलोक के पास कोई लफ्ज़ नहीं थे। शिखा और उसका भाई २ दिन रुक ने वाले थे। पर इस बार आलोक को  कोई ओर ही शिखा लगी। ठीक से बात भी नहीं की उसने। जब आलोक ने कहा कि तुमने ऐसे कैसे अपन बर्ताव बदल दिया ? तब शिखा का जवाब सुन के आलोक जैसे तुट गया। २ दिन बाद शिखा अपने घर वापस चली गई। करीबन ६० किलोमीटर दूर शिखा का घर था ।

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          इस बार शिखा का बर्ताव देख कर आलोक उसे भूल ने की कोशिश कर रहा था। किन्तु शिखा को भुला ना आलोक के लिए इतना आसान नहीं था।


        एक दिन अचानक आलोक को शिखा का फोन आया। वो बहोत खुश हो गया। दोनों ने तई किया कि वे दोनों जल्द ही एक दूसरे से मिलेंगे। थोड़े समय बाद आलोक और शिखा की मुलाक़ात हुई। आलोक पहेली बार किसी लड़की को मिलने जा रहा था तो एक सुंदर सा तोहफ़ा लिया। शिखा को बहुत पसंद आया। दोनों ने बहुत सारी बाते की मंदिर गए और आपने मन की बात भी एक दूसरे को बता दिया।



   

  " जिंदगी में किसी का ..साथ ही काफी हैं
  हाथों में किसी का ..हाा  तुु
   प्यार का तो सिर्फ एहसास ही काहैंैैंैै

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Sejal Bhagat

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