संदीप लैपटॉप पर अपना काम कर रहा था कि, तभी उसके दोनों बच्चे नैन्सी और किट्टू गले से लग गया ।
संदीप -"बच्चों पापा अभी काम कर रहे आपदोनों जाओ खेलो । उदास चेहरे के साथ दोनों बच्चे बड़ी मम्मी के पास जाकर रोने लगा ।
बड़ी मम्मी "पापा को मेरा जन्मदिन याद नहीं है ,सुबह से शाम हो गई पापा ने मुझे विश नहीं किया हर साल ऐसा ही होता है ।" दोनों बच्चे जुड़वा थे बड़ी मम्मी के पास आकर रो रहे थे ।
उनके आँसू पोछकर नेहा संदीप की भाभी आकर संदीप को डांटने लगी! चुपचाप संदीप सुनता रहा भाभी की डांट, और भाभी बोलते-बोलते थक गयी तो चली गई ।
संदीप भाभी के कमरे से जाने के बाद लेपटॉप बंद करके बिस्तर पर लेट गया और अतीत के पन्नों में खोता चला गया ।
संदीप को एक लड़की से प्यार हुआ था !उन दिनों संदीप को नवजीवन मिल गया था । ज़िंदगी उसकी खिल उठी, उसने जैसा सोचा था ठीक वैसी ही लड़की थी रोजी ।
रोजी उससे निःस्वार्थ प्यार करती थी ।
संदीप -" रोजी मैं तेरे बिना जी नहीं पाऊँगा कभी मेरा साथ मत छोड़ना "!
रोजी -"संदीप तुम अपनी फैमिली से बात करो वो तैयार होंगे तभी मैं शादी करूंगी वर्ना नहीं "
संदीप -"रोजी मेरी फैमिली मुझे जरूर समझेगी और मेरी भाभी मेरी भाभी नहीं मेरी मां भी है ।
मेरी हर फीलिंग्स को समझती है यकीनन मदद करेगी "!
रोजी -"फिर ठीक है संदीप "
संदीप -"भाभी मैं एक लड़की है जिसे पसंद करता हूँ उसी से शादी करना चाहता हूँ "
नेहा - "लड़की से मुझे मिलाइये संदीप फिर बताऊंगी "
ठीक है भाभी मैं कल ही आपको मिलाता हूँ ।
एक अच्छे रेस्टोरेंट में संदीप भाभी को लेकर आता है रोजी बहुत अच्छे से तैयार होकर आती है ।
रोजी को देखकर भाभी के चेहरे पर मायूसी आ जाती है । कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद भाभी चली जाती है ।तो संदीप रोजी को चुपके से कहता है- "चिंता मत करो रोजी भाभी को तुम जरूर पसंद आयी होगी ।"
घर आने के बाद भाभी रोजी के टॉपिक पर कोई बात ही नहीं करती है । संदीप इन्तज़ार करता है ,भाभी कुछ बोलेगी पर वो नहीं बोलती है ।
आखिरकार संदीप पूछ ही लेता है तो भाभी कहती है "मुझे रोजी पसंद नहीं आई उतनी फैशनेबल लड़की नहीं चाहिए मुझे अपने देवर के लिए साधारण लड़की चाहिए जो घर को अच्छे से संभाल सके ।" सुनकर संदीप हैरान हो जाता है ।
भाभी रोजी को हम अपने तरीके से रखेंगे भाभी मैं रोजी से बहुत प्यार करता हूँ, प्लीज मेरी शादी करा दो आप भाभी ने दो टूक जवाब दिया नहीं हो सकती शादी उससे, अगर उससे शादी करोगे तो समझना मैं तेरे लिए मर चुकी हूँ ।
संदीप उस रात बहुत रोता है उसे समझ नहीं आता है जो भाभी मां बापूजी के मरने के बाद अच्छे से उसका लालन-पालन की थी वो इतनी बदल कैसे गयी क्यों ऐसा कर रही है ।
रोजी -"संदीप मुझे तुम गलत मत समझो मैं बेहद प्यार करती हूँ तुमसे लेकिन अपनी फैमिली के खिलाफ मत जाओ जहाँ भाभी कहे वहीं शादी कर लेना "!
"रोजी तुम मेरी ज़िन्दगी हो कैसे तुझे छोड़ दूं मैं अंदर से मर जाऊँगा रोजी संदीप ने गुस्से से कहा ।
और रोजी केवल सोचती ही रह गई ।
संदीप के भैया विनय जो बहुत प्यार करते थे संदीप से । संदीप ने भैया से भी कहा -"भैया मैं केवल रोजी से शादी करूंगा आप हाँ कर दो वर्ना मैं टूट जाऊँगा "
संदीप -" तेरी भाभी को पसंद नहीं है और मुझे भी पसंद नहीं है वो लड़की ।
उससे सौ गुना अच्छी लड़की से तेरी शादी करूंगा मैं "
भैया उससे सौ गुना अच्छी लड़की होगी लेकिन वो रोजी नहीं होगी " इतना कहकर संदीप चुपचाप चला गया । संदीप बैंक का मैनेजर था । दिल का साफ लड़का था उसे पाकर रोजी खुद को खुशनसीब समझती । लेकिन जब रोजी को पता चला कि उसकी फैमिली तैयार नहीं है तो वो संदीप को बहुत समझाने लगी । लेकिन संदीप मानने को तैयार नहीं था ।
रोजी के पापा ने रोजी की शादी तय कर दी था ।
रोजी ने अपने प्यार का वास्ता दे दिया संदीप को और कहा -"फैमिली हमें सबकुछ देती है कभी उनका दिल नहीं दुखाना चाहिए "
"उनकी खुशी के लिए अपनी खुशी त्याग दो "
संदीप मायूस हो गया था अपनी फैमिली से कटने लगा था । रोजी की शादी हो गई ये सुनकर संदीप बहुत रोया था उस दिन पूरा दिन नशे में था ।
जब भी संदीप के लिए कोई रिश्ता आता संदीप शादी से मना कर देता ।
जब पांच साल बीत गए तो संदीप के भाई ने कहा शादी कर लो वर्ना मैं आत्महत्या कर लूंगा तुझे ऐसी हालत में देखकर तब संदीप ने चुपचाप शालिनी से शादी कर ली ।
शालिनी सांवली सलोनी अच्छी लड़की थी, लेकिन संदीप के दिल में कभी घर बना नहीं पाई ।
संदीप के होंठो की मुस्कुराहट छीन गयी ।
उसे हँसा हुआ ज़माना बीत गया ।
दो बच्चों के जन्म के बाद भी संदीप नहीं बदला तो नेहा ने एक दिन संदीप को आड़े हाथ लिया -" संदीप आखिर क्यों अपने-आप को तबाह कर रहे हो मैंने सोचा तुम बदल जाओगे लेकिन ये क्या शालिनी कितनी अच्छी है फिर भी तुझे उसकी परवाह नहीं होती "
भाभी -"आपको एक सुघड़ बीवी चाहिए थी, मेरे लिए जो घर को सँभाल सके एकता में बाँध सके ।"
"आपको तो खुश होना चाहिए मैंने अपनी खुशी आपसे मांगा था लेकिन आपका दामन तंग था ।"
"मैंने अपने आप को आपलोगों के लिए मार दिया ।"
"अब ये उदासी ही मेरा जीवन है क्योंकि इस उदासी में हमेशा रोजी मेरे साथ रहती है, अब ये हक भी मुझसे मत छीनो आप ,वर्ना मर जाऊँगा मैं "
इतना कहकर संदीप कमरे से बाहर निकल गया ।
नेहा की आँखों से पश्चाताप के आँसू बहने लगे कितनी खुदगर्ज हो गई थी वो लेकिन एक कहावत है ना अब पछतायत होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत । संदीप के दिल में मोहब्बत आज भी जिंदा थी ।